कक्षा - 9वीं
विषय - भूगोल
पाठ - 3
अपवाह (NOTES)
- अपवाह द्रोणी - एक नदी तंत्र द्वारा जिस क्षेत्र का जल प्रवाहित होता है उसे अपवाह द्रोणी कहते हैं।
- विश्व की सबसे बड़ी अपवाह द्रोणी अमेज़न नदी की है।
- भारत की सबसे बड़ी अपवाह द्रोणी गंगा नदी की है।
- जल विभाजक - कोई भी ऊँचा क्षेत्र, जैसे - पर्वत या उच्च भूमि दो पड़ोसी अपवाह द्रोणियों को एक दूसरे से अलग करती है। इस प्रकार की उच्च भूमि को जल विभाजक कहते हैं।
- नदी तंत्र - किसी नदी तथा उसकी सहायक नदियों को नदी तंत्र कहा जाता है।
भारत में अपवाह तंत्र - भारत के अपवाह तंत्र का नियंत्रण मुख्यतः भौगोलिक आकृतियों के द्वारा होता है। इस आधार पर भारतीय नदियों को दो मुख्य वर्गों में विभाजित किया गया है -
- हिमालय की नदियाँ
- प्रायद्वीपीय नदियाँ
हिमालय की नदियाँ -
- हिमालय की अधिकतर नदियाँ बारहमासी हैं |
- इनमें वर्ष भर पानी रहता है क्योंकि इन्हें वर्षा के अलावा ऊँचे पर्वतों से पिघलने वाले हिम द्वारा भी जल प्राप्त होता है |
- हिमालय की नदियाँ अपने उत्त्पति के स्थान से लेकर समुद्र तक के लंबे रस्ते को तय करती हैं |
- ये अपने मार्ग के ऊपरी भागों में तीव्र अपरदन क्रिया करती हैं |
- मध्य एवं निचले भागों में ये नदियाँ विसर्प, गोखुर झील तथा अपने बाढ़ वाले मैदानों में बहुत सी अन्य निक्षेपण आकृतियों का निर्माण करती हैं |
- ये नदियाँ पूर्ण विकसित डेल्टाओं का निर्माण करती हैं |
हिमालय की प्रमुख नदियाँ - सिंधु , गंगा तथा ब्रह्मपुत्र हिमालय से निकलने वाली प्रमुख नदियाँ हैं। ये नदियाँ लम्बी हैं तथा अनेक महत्त्वपूर्ण एवं बड़ी सहायक नदियाँ आकर इनमें मिलाती हैं।
- सिंधु नदी तंत्र
- गंगा नदी तंत्र
- ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र
सिंधु नदी तंत्र -
- सिंधु नदी का उद्गम मानसरोवर झील के निकट तिब्बत में है।
- पश्चिम की ओर बहती हुई यह नदी भारत में लद्दाख से प्रवेश करती है। इस भाग में यह एक बहुत ही सुन्दर दर्शनीय गार्ज का निर्माण करती है।
- इस क्षेत्र में बहुत सी सहायक नदियाँ जैसे जास्कर, नूबरा, श्योक तथा हुंजा इस नदी में मिलती हैं।
- सिंधु नदी बलूचिस्तान तथा गिलगित से बहते हुए अटक में पर्वतीय क्षेत्र से बाहर निकलती है।
- सतलुज, ब्यास, रवि, चेनाब तथा झेलम आपस में मिलकर पाकिस्तान में मिथानकोट के पास सिंधु नदी में मिल जाती है | इसके बाद सिंधु नदी कराची से पूर्व की ओर अरब सागर में मिल जाती है |
- सिंधु नदी की लम्बाई 2,900 किo मीo है | सिंधु नदी विश्व की लंबी नदियों में से एक है।
गंगा नदी तंत्र -
- गंगा नदी की लंबाई 2,500 किo मीo से अधिक है।
- गंगा की मुख्य धारा भागीरथी गंगोत्री हिमनद से निकलती है।
- अलकनंदा अतराखंड के देवप्रयाग में भागीरथी से मिलती है।
- हरिद्वार के पास गंगा पर्वतीय भाग को छोड़कर मैदानी भाग में प्रवेश करती है।
- हिमालय से निकलने वाली बहुत सी नदियाँ आकर गंगा में मिलती हैं जैसे यमुना, घाघरा, गंडक तथा कोसी |
- घाघरा, गंडक तथा कोसी नेपाल हिमालय से निकलती हैं |
- यमुना नदी, गंगा की मुख्य सहायक नदी है जोकि यमुनोत्री हिमानी से निकलती है |
- यह गंगा के दाहिने किनारे के समानांतर बहती है तथा इलाहाबाद में गंगा नदी में मिल जाती है |
- प्रायद्वीपीय उच्च भूमि से आने वाली गंगा की सहायक नदियाँ चंबल, बेतवा तथा सोन हैं | ये नदियाँ अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों से निकलती हैं इसलिए इन नदियों की लंबाई कम तथा इनमें पानी की मात्रा भी कम है |
- बाएँ तथा दाहिने किनारे की सहायक नदियों के जल से परिपूर्ण होकर गंगा पूर्व दिशा में पश्चिम बंगाल के फरक्का तक बहती है |
- इसके बाद गंगा दो भागों में बँट जाती है एक भागीरथी हुगली दक्षिण की तरफ बहती है तथा डेल्टा के मैदान से होते हुए बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है |
- मुख्य धारा बांग्लादेश में प्रवेश करती है एवं ब्रह्मपुत्र नदी इससे आकर मिल जाती है |
- इसके बाद गंगा और ब्रह्मपुत्र समुद्र में मिलने से पहले मेघना नदी के नाम से जानी जाती है |
ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र -
- ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत की मानसरोवर झील के पूर्व तथा सिंधु एवं सतलुज के स्रोतों के काफी नजदीक से निकलती है।
- इसकी लम्बाई सिंधु से कुछ अधिक है, परन्तु इसका अधिकतर मार्ग भारत से बाहर स्थित है।
- यह हिमालय के समानांतर पूर्व की ओर बहती है। नामचा बारवा शिखर ( 7,757 मीटर ) के पास पहुँचकर यह अंग्रेजी के यू ( U ) अक्षर जैसा मोड़ बनाकर भारत के अरुणाचल प्रदेश में गॉर्ज के माध्यम से प्रवेश करती है। यहाँ इसे दिहाँग के नाम से जाना जाता है।
- ब्रह्मपुत्र को तिब्बत में सांगपो एवं बांग्लादेश में जमुना कहा जाता है।
- इसकी सहायक नदियाँ - दिबांग, लोहित, कैनुला एवं दूसरी सहायक नदियाँ इससे मिलकर असम में ब्रह्मपुत्र का निर्माण करती हैं।
- ब्रह्मपुत्र नदी में तिब्बत में गाद कम होती है क्योंकि तिब्बत एक शुष्क तथा शीत क्षेत्र है।
- सुंदरवन डेल्टा विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा है | सुंदरवन डेल्टा का नाम यहाँ पाए जाने वाले सुंदरी पादप से लिया गया है |
- यहाँ रॉयल बंगाल टाईगर भी पाए जाते हैं |
प्रायद्वीपीय नदियाँ -
- प्रायद्वीपीय भारत में मुख्य जल विभाजक का निर्माण पश्चिमी घाट द्वारा होता है जोकि पश्चिमी तट के निकट उत्तर से दक्षिण की ओर स्थित है |
- प्रायद्वीपीय भाग की अधिकतर मुख्य नदियाँ जैसे महानदी, गोदावरी, कृष्णा तथा कावेरी पूर्व की ओर बहती हैं तथा बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं |
- ये नदियाँ अपने मुहाने पर डेल्टा का निर्माण करती हैं |
- पश्चिमी घाट से पश्चिम में बहने वाली अनेक छोटी धाराएँ हैं | नर्मदा और तापी, दो ही बड़ी नदियाँ हैं जोकि पश्चिम की तरफ बहती हैं और ज्वारनदमुख का निर्माण करती हैं |
- प्रायद्वीपीय नदियों की अपवाह द्रोणियाँ आकार में अपेक्षाकृत छोटी हैं |
नर्मदा द्रोणी -
- नर्मदा मध्य प्रदेश में अमरकंटक पहाड़ी के पास से निकलती है |
- ये नदी पश्चिम दिशा की ओर एक भृंश घाटी में बहती है |
- जबलपुर के निकट संगमरमर के शैलों में यह नदी गहरे गार्ज से बहती है तथा जहाँ यह तीव्र ढाल से गिरती है वहां पर धुँआधार प्रपात का निर्माण करती है |
- नर्मदा की सभी सहायक नदियाँ बहुत छोटी हैं |
- नर्मदा द्रोणी मध्य प्रदेश तथा गुजरात के कुछ भागों में विस्तृत है |
तापी द्रोणी -
- तापी नदी मध्य्प्रदेश के बेतुल जिले में सतपुड़ा की श्रंखलाओं से निकलती है |
- यह नदी भी नर्मदा के समानांतर एक भृंश घाटी में बहती है लेकिन इसकी लंबाई बहुत कम है |
- तापी नदी की द्रोणी मध्य प्रदेश, गुजरात तथा महाराष्ट राज्य में है |
गोदावरी द्रोणी -
- गोदावरी सबसे बड़ी प्रायद्वीपीय नदी है
- यह महाराष्ट के नासिक जिले में पश्चिम घाट की ढालों से निकलती है |
- इस नदी की लंबाई लगभग 1,500 किलोमीटर है |
- यह बंगाल की खाड़ी में गिरती है |
- इस नदी की द्रोणी महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, ओडिशा तथा आंध्र प्रदेश में स्थित है |
- गोदावरी में कई सहायक नदियाँ मिलती हैं जैसे - पूर्णा, वर्धा, प्रान्हिता, मांजरा, वेनगंगा तथा पेनगंगा |
- मांजरा, पेनगंगा तथा वेनगंगा तीनों सहायक नदियाँ बहुत बड़ी हैं |
- बड़े आकार और विस्तार के कारण गोदावरी नदी को 'दक्षिण गंगा' के नाम से भी जाना जाता है |
महानदी द्रोणी -
- महानदी छत्तीसगढ़ की उच्चभूमि से निकलती है |
- यह नदी ओडिशा से बहते हुए बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है |
- इस नदी की लम्बाई 860 किलोमीटर है
- इस नदी की अपवाह द्रोणी महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखण्ड तथा ओडिशा में है |
कृष्णा नदी -
- कृष्णा नदी महाराष्ट्र के पश्चिमी घाट में महाबालेश्वर के निकट स्त्रोत से निकलती है |
- कृष्णा नदी की लम्बाई 1,400 किलोमीटर है |
- यह नदी बंगाल की खाड़ी में गिरती है |
- तुंगभद्रा, कोयना, घाटप्रभा, मुसी तथा भीमा कृष्णा नदी की सहायक नदियाँ हैं |
- कृष्णा नदी की द्रोणी महाराष्ट्र, कर्नाटक तथा आंध्र प्रदेश में फैली है |
कावेरी द्रोणी -
- कावेरी नदी पश्चिमी घाट के ब्रह्मगिरी शृंखला से निकलती है |
- यह नदी तमिलनाडु में कुडलूर के दक्षिण में बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है |
- इस नदी की लम्बाई 760 किलोमीटर है |
- अमरावती, भवानी, हेमावती तथा काबिनी कावेरी की सहायक नदियाँ हैं |
- कावेरी नदी की द्रोणी तमिलनाडु, केरल तथा कर्नाटक में फैली है |
झीलें
- पृथ्वी की सतह के गर्त वाले भागों में जहाँ जल जमा हो जाता है, उसे झील कहते हैं |
- बड़े आकार वाली झीलों को समुद्र कहा जाता है जैसे - केस्पियन, मृत तथा अरल सागर |
झीलों का महत्व
- झील नदी के बहाव को सुचारु बनाने में सहायक होती है |
- अधिक वर्षा के समय यह बाढ़ को रोकती है |
- सूखे के मौसम ने पानी के बहाव को संतुलित करने में सहायता करती है |
- झीलों का प्रयोग जल विद्युत उत्पन्न करने में किया जाता है |
- झील आस-पास के क्षेत्रों की जलवायु को सामान्य बनाती है |
- झीलें जलीय पारितंत्र को संतुलित रखती है |
- झीलों की प्राकृतिक सुंदरता पर्यटन को बढ़ाती है |
नदियों का अर्थव्यवस्था में महत्व
- कृषि के लिए उपयोगी
- उद्योगों के लिए महत्व
- मृदा निर्माण
- पर्यटन को बढ़ावा
नदी प्रदूषण
- नदी जल की घरेलू, औद्योगिक तथा कृषि में बढ़ती माँग के कारण इसकी गुणवत्ता प्रभावित हुई है |
- नदियों से अधिक जल की निकासी होती है तथा इनका आयतन घटता जाता है |
- उद्योगों का प्रदूषण तथा अपरिष्कृत कचरा नदियों डाला जाता है यह केवल जल की गुणवत्ता को ही प्रभावित नहीं करता बल्कि नदी के स्वत: स्वच्छीकरण की क्षमता को भी प्रभावित करता है |
0 Comments