कक्षा - 9वीं 

विषय - विज्ञान 

पाठ - 1 

हमारे आस-पास के पदार्थ (Notes)

पदार्थ - जिन वस्तुओं का द्रव्यमान होता है और जो वस्तुएँ स्थान घेरती हैं उन्हें पदार्थ कहते हैं जैसे लकड़ी, जल, पृथ्वी आदि | 

पदार्थ का भौतिक स्वरूप 

  • पदार्थ कणों से मिलकर बना होता है |
  • पदार्थ के कण बहुत छोटे होते हैं |

पदार्थ के कणों के गुण 

  • पदार्थ के कणों के बीच रिक्त स्थान होता है उदाहरण जब हम चाय, कॉफी या नींबू पानी बनाते हैं, तो एक पदार्थ के कण दूसरे पदार्थ के कणों के रिक्त स्थान में समावेशित हो जाते हैं | 
  • पदार्थ के कण निरंतर गतिशील होते हैं अर्थात उनमें गतिज ऊर्जा होती है | तापमान बढ़ने से कणों की गति तेज हो जाती है | इसलिए कहा जा सकता है कि तापमान बढ़ने से कणों की गतिज ऊर्जा भी बढ़ जाती है |
  • पदार्थ के कण एक दूसरे को आकर्षित करते हैं अर्थात पदार्थ के कणों के बीच आकर्षण बल कार्य करता है | इस आकर्षण बल का सामर्थ्य प्रत्येक पदार्थ में अलग-अलग होता है | 

विसरण - दो अलग-अलग पदार्थों के कणों का आपस में स्वतः मिलना विसरण कहलाता है |  गर्म करने पर विसरण तेज हो जाता है | 

पदार्थ की अवस्थाएँ 

पदार्थ के तीन रूप होते हैं - ठोस, द्रव और गैस 

ठोस 

  • ठोस का एक निश्चित आकार, स्पष्ट सीमाएँ तथा स्थिर आयतन यानि नगण्य संपीड्यता होती है | 
  • बाह्य बल लगाने पर भी ठोस अपने आकार को बनाए  रखते हैं | बल लगाने पर ठोस टूट सकते हैं लेकिन इनका आकार नहीं बदलता | 
  • ये कठोर होते हैं |

द्रव 

  • द्रव का आकार अनिश्चित और आयतन निश्चित होता है |
  • द्रव को जिस बर्तन में रखा जाए ये उसी का आकार ले लेते हैं | 
  • द्रवों में बहाव होता है |
  • इनका आकार बदलता है | 
  • द्रव कठोर नहीं होते लेकिन तरल होते हैं | 
  • द्रवों में ठोस, द्रव और गैस तीनों का विसरण संभव है क्योंकि द्रव अवस्था में पदार्थ के कण स्वतंत्र रूप से गति करते हैं और ठोस की अपेक्षा द्रव के कणों में रिक्त स्थान भी अधिक होता है | 

गैसीय अवस्था 

  • ठोस एवं द्रवों की तुलना में गैसों की संपीड्यता काफी ज्यादा होती है | संपीड्यता अधिक होने के कारण गैस के अधिक आयतन को कम आयतन वाले सिलिंडर में संपीडित किया जा सकता है |
  • कणों की तेज गति और अत्यधिक रिक्त स्तनों के कारण गैसों का अन्य गैसों में विसरण बहुत तेजी से होता   है | गैसीय अवस्था में कणों की गति अनियमित और अत्यधिक तीव्र होती है | इसी अनियमित गति के कारण आपस में एवं बर्तन की दीवारों से टकराते हैं | बर्तन की दीवार पर गैस कणों द्वारा प्रति इकाई क्षेत्र पर लगे बल के कारण गैस का दबाव बनता है | 

क्या पदार्थ अपनी अवस्था को बदल सकता है ?

तापमान परिवर्तन का प्रभाव 

  • जिस न्यूनतम तापमान पर ठोस पिघलकर द्रव बन जाता है उसे पदार्थ का गलनांक कहते हैं | उदाहरण बर्फ़ का गलनांक 273.15 k  है |
  • प्रत्येक पदार्थ का अलग-अलग गलनांक होता है |
  • संगलन की प्रसुप्त ऊष्मा - वायुमंडलीय दाब पर 1 kg ठोस को उसके गलनांक पर द्रव में बदलने के लिए जितनी ऊष्मीय ऊर्जा की आवश्यकता होती है उसे संग्लन की प्रसुप्त ऊष्मा कहते हैं | उदाहरण 0० C (273 K) पर जल के कणों की ऊर्जा उसी तापमान पर बर्फ़ के कणों की ऊर्जा से अधिक होती है |
  • क्वथनांक - वायुमंडलीय दाब पर वह तापमान जिस पर द्रव उबलने लगता है, उसे इसका क्वथनांक कहते हैं |
  • ऊर्ध्वपातन - द्रव अवस्था में परिवर्तित हुए बिना ठोस अवस्था से सीधे गैस में बदलने की प्रक्रिया को ऊर्ध्वपातन कहते हैं | जैसे - कपूर |
  • निक्षेपण - गैस से सीधे ठोस बनने की प्रक्रिया को निक्षेपण कहते हैं | 

दाब परिवर्तन का प्रभाव 

  • दाब के बढ़ने और तापमान के घटने से गैस द्रव में बदल सकती है | 
  • शुष्क बर्फ़ - जब वायुमंडलीय दाब का माप 1 ऐटमॉस्फीयर हो तो ठोस COद्रव अवस्था में आए बिना सीधे गैस में परिवर्तित हो जाती है यही कारण है कि इसे शुष्क बर्फ कहते हैं | 
  • इसलिए कह सकते हैं कि पदार्थ की अवस्थाएँ ठोस, द्रव और गैस तापमान और दाब के द्वारा तय होती हैं | 

वाष्पीकरण - क्वथनांक से कम तापमान पर द्रव के वाष्प में परिवर्तित होने की प्रक्रिया को वाष्पीकरण कहते हैं | 

वाष्पीकरण को प्रभावित करने वाले कारक 

  •  सतह क्षेत्र बढ़ने पर - सतही क्षेत्र बढ़ने पर वाष्पीकरण की दर भी बढ़ जाती है | जैसे कपड़े सुखाने के लिए हम उन्हें फैला देते हैं | 
  • तापमान में वृद्धि - तापमान के बढ़ने पर अधिक कणों को पर्याप्त गतिज ऊर्जा मिलती है, जिससे वे वाष्पीकृत हो जाते हैं | 
  • आर्द्रता में कमी - वायु में विद्यमान जलवाष्प की मात्रा को आर्द्रता कहते हैं | जब वायु में जल कणों की मात्रा पहले से ही अधिक होगी, तो वाष्पीकरण की दर  घट जाएगी | 
  • वायु की गति में वृद्धि - वायु के तेज होने से कपड़े जल्दी सूख जाते हैं तेज हवा से जलवाष्प के कण हवा के साथ उड़ जाते हैं जिससे आस-पास के जलवाष्प की मात्रा घट जाती है | 

वाष्पीकरण के कारण शीतलता कैसे होती है ?

खुले हुए बर्तन में रखे द्रव में लगातार वाष्पीकरण होता है वाष्पीकरण के दौरान जो ऊर्जा कम होती है कम हुई ऊर्जा को दोबारा प्राप्त करने के लिए द्रव के कण अपने आस-पास से ऊर्जा को अवशोषित कर लेते हैं | आस-पास से ऊर्जा के अवशोषित होने के कारण शीतलता हो जाती है | 

गर्मियों में हमें सूती कपड़े क्यों पहनने चाहिए ?

वाष्पीकरण के दौरान द्रव की सतह के कण हमारे शरीर या आस-पास से ऊर्जा प्राप्त करके वाष्प में बदल जाते हैं वाष्पीकरण की प्रसुप्त ऊष्मा के बराबर ऊष्मीय ऊर्जा हमारे शरीर से  अवशोषित हो जाती है जिससे शरीर शीतल हो जाता है | 

बर्फीले जल से भरे गिलास की बाहरी सतह पर जल की बूँदें क्यों नज़र आती हैं ?

वायु में उपस्थित जलवाष्प की ऊर्जा ठंडे पानी के संपर्क में आकर कम हो जाती है और यह द्रव अवस्था में बदल जाता है जोकि गिलास की बाहरी सतह पर जल की बूँदों के रूप में नज़र आता है |


राशि

मात्रक

प्रतीक

लम्बाई   

   मीटर       

m

 

संहति   

  किलोग्राम   

kg

 

भार     

   न्यूटन         

 

आयतन     

घनमीटर     

m2

 

घनत्व     

किलोग्राम प्रति घनमीटर

 kg m3

 

दाब     

पास्कल   

        pa

 

तापमान   

 केल्विन     

k

 


Post a Comment

0 Comments